लघुकथा:- तपस्या
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चुनाव आयोग ने आज चुनावी समर की घोषणा कर दी है। उधर नेता रामपाल
जी अपने समर्थकों के साथ पार्टी कार्यालय के बाहर हैरान और परेशान से खड़े है। इस
दुविधा में कि इस बार का टिकट उन्हें मिलेगा कि नहीं । नेता जी का सामाजिक कार्य
में प्रदार्पण उन्नीस वर्ष की अवस्था में कालेज के छात्र संघ चुनाव के अध्यक्ष पद
के चुनाव जीतने के साथ से शुरू हुआ था। तब किसी पार्टी का टिकट लेने का कोई प्रश्न
ही नहीं उठता था। बस मुट्ठी भर लड़के लेकर जाओ और नामांकन पात्र भरो और कूद पड़ो
चुनावी समर में। आज नेता जी की उम्र चौसठ वर्ष की होने को आई है,आज ही उनका जन्मदिन भी है।उन्नीस वर्ष की युवावस्था से चौसठ
वर्ष तक की उम्र का सफ़र तय करना, और उसको ज़िन्दगी भर
निष्ठा पूर्वक निभाना कोई मजाक बात नहीं है वह भी पार्टी को चंदा दिए बगैर ,ना जाने अब तक कितने पापड़,उन्होंने टिकट लेने के लिए बेले होंगे। पर अब नेता जी प्रसन्न हैं आज उनको
उनके जन्मदिन के अवसर पर पार्टी की तरफ से जन्मदिन का उपहार जो मिल गया है। यानी
की उनको उनके ही क्षेत्र से टिकट जो मिल गया है। उनके समर्थकों का जोश देखने लायक
था। कार्यकर्ताओं के जय घोष ने मानों उनको विजयी घोषित कर दिया हो। और नेता जी बड़े
खुश हैं मानों उनकी बरसों की तपस्या सफल हो गयी हो ।
(पंकज जोशी) सर्वाधिकारसुरक्षित ।
लखनऊ । उ०प्र०
१८/०१/२०१५
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