लघुकथा:- मनहूस कौन
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करिश्मा की माँ का उसको जन्म देने पश्चात ही स्वर्ग वास हो गया था । घर मे उसको सभी मनहूस समझते थे। उसके पिता ने भी दूसरी शादी कर ली थी । वक्त के साथ ही करिश्मा ने अपनी पढाई पूरी कर आज वह एक प्राइवेट फर्म मे नौकरी कर अपने पिता के रिटायर मेंट के बाद अपने पूरे परिवार के भरण पोषण का जिम्मा अपने कंधो पर उठा लिया । उसका सौतेला भाई रोज नशे में लिप्त दिन भर रोड इंस्पेक्टरी करता और रात मे घर मे बवाल काटता । जो सौतेली माँ उसको बचपन मे एक-एक दाने के लिए तरसाती थी आज करिश्मा ने बीमारी में ना केवल उसका हस्पताल मे इलाज करवाया बल्कि अपनी सौतेली माँ को अपना रक्त दान देकर अपने सौतेले भाई के सिर पर से माँ का साया उठने से भी बचा लिया । आज उसका पिता का सिर शर्म से झुका अपने आप से प्रश्न कर रहा है मनहूस कौन ।
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करिश्मा की माँ का उसको जन्म देने पश्चात ही स्वर्ग वास हो गया था । घर मे उसको सभी मनहूस समझते थे। उसके पिता ने भी दूसरी शादी कर ली थी । वक्त के साथ ही करिश्मा ने अपनी पढाई पूरी कर आज वह एक प्राइवेट फर्म मे नौकरी कर अपने पिता के रिटायर मेंट के बाद अपने पूरे परिवार के भरण पोषण का जिम्मा अपने कंधो पर उठा लिया । उसका सौतेला भाई रोज नशे में लिप्त दिन भर रोड इंस्पेक्टरी करता और रात मे घर मे बवाल काटता । जो सौतेली माँ उसको बचपन मे एक-एक दाने के लिए तरसाती थी आज करिश्मा ने बीमारी में ना केवल उसका हस्पताल मे इलाज करवाया बल्कि अपनी सौतेली माँ को अपना रक्त दान देकर अपने सौतेले भाई के सिर पर से माँ का साया उठने से भी बचा लिया । आज उसका पिता का सिर शर्म से झुका अपने आप से प्रश्न कर रहा है मनहूस कौन ।
( पंकज
जोशी ) सर्वाधिकारसुरक्षित ।
लखनऊ । उ०प्र०
13/01/2014
लखनऊ । उ०प्र०
13/01/2014
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