Saturday 10 January 2015

दोस्ती

मनु और कानन दोनों ही अलग पृष्ठ भूमि से स्कूल आतें हैं , दोनों ही पढ़ने मे मेधावी हैं और कक्षा मे प्रथम आने के लिए बड़ी होड़ लगी रहती है,परन्तु दोनों मे सिवाय औपचारिकता के कभी कोई बात नहीं हुई,अंग्रेजी के मासाब कक्षा मे पढा रहते कि अचानक इंटरवल की घंटा बज उठता है ,सन्नाटा टूटता है और बच्चे अपना अपना टिफिन उठा कर कक्षा से बाहर निकलते हैं,कानन भी तेजी से अपना टिफिन बैग से निकालते हुये कक्षा से बाहर निकल कर मैदान की ओर रुख करता है,टिफिन जैसे ही खोलता है तभी उसकी नजरें मनु को ढूँढती है, इधर उधर नजरें घुमाता है तो पाता है कि मनु कक्षा में अकेला गर्दन झुका कर बैंच पर बैठा है।आज से पहले तो ऐसा कभी नही हुआ सोचते हुये कानन अपना टिफिन बंद करता है और तेजी से कक्षा की ओर भागता है, कक्षा में मनु गर्दन झुका कर बैठा था और आसूँ उसकी आँखों से झर झर उसके गालों को भिगो रहें थे,पीछे से कानन ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा क्या बात है मनु आज तुम टिफिन लेकर नहीं आये क्या ,मनु कुछ नहीं बोला,आश्चर्य से कानन का मुँह देखता है और फिरअपना सिर झुका लेता है, हूँ ,आज टिफिन नहीं लाया हूँ ,दरअसल मेरी माँ अब इस दुनिया मे नहीं रहीं कह कर मनु चुप हो गया। बस इतनी सी बात,कोई बात नहीं,कानन ने कहा-मैं तो टिफिन लाया हूँ ना आज हम लोग मिल कर खाना खायेगें ,मनु ने बड़े भोलेपन से पूछा और कल,तू चिंता मत कर मैं कल भी तेरे लिये  टिफिन लाऊँगा,बस तू अपने आँसू पोछ और यह ले रोटी खा,उसने मनु के हाथ रोटी मे सब्जी लपेट कर आगे बढ़ाया, तो क्या आज से हम दोस्त हैं ? मनु ने मासूमियत से कानन से प्रश्न किया , दोस्त नहीं आज से हम भाई हैं कानन ने प्रत्युतर दिया ।

(पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित।
२७/१२/२०१४

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