Monday 26 January 2015

लघुकथा :- ब्रेकिंग न्यूज
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यह कोई शरीफ लड़कियों के घर आने का समय है आरती , माँ ने उसे डपटते हुए कहा। सुबह से तेरी फिक्र में अन्न का दाना नहीं खाया मैंने । " अम्मा जरूरी काम में फँस गयी थी "आरती बैग पटकते हुए बोली। काश तेरे पापा आज ज़िंदा होते ...कहते हुए उसकी माँ की आँखों में आँसू आ गये । कहाँ गुल खिला कर आ रही है -किसके साथ आँख मट्टका चल रहा है तेरा कलमुहीं , तेरी सारी दोस्तों को फ़ोन किया तो बोल रही थी कि आंटी जी आरती तो हमारे साथ ही कालेज से निकली थी । देख तू मुझसे झूठ ना बोलियो पहले ही बताये दे रही हूँ तुझे इसी गरम चिमटे से मारूँगी । कुछ नही माँ कालेज से हम लोग साथ ही निकले थे पर चौराहे पर जाम लगा था। मीडिया का पूरा जमावड़ा लगा पड़ा था । पास पहुंची तो देखा -एक आदमी कार दुर्घटना में जख्मी हालत में पड़ा दर्द से कराह रहा है । सब लोग भीड़ लगाये उसे घेरे मीडिया के कैमरे के आगे फ़ोटो खिंचाने मे व्यस्त थे । किसी को उस घायल की फ़िक्र ही नहीं थी । अब तूने ही तो अम्मा बचपन से हमें सिखाया की लोगों की मदद करनी चाहिये तो तू ही बता मैं उसे मरने के लिए कैसे छोड़ देती । तो क्या किया ? माँ ने उत्सुकता से उससे पूछा , फ़ोन करके माँ मैंने एम्बुलेंस मंगायी थी । तो बच गया क़ी नहीं फिर उसकी माँ ने उत्सुक्तापूर्वक आरती से पूछा। नहीं माँ हस्पताल ले जाते हुए रास्ते में बेचारे ने दम तोड़ दिया । कोई बात नहीं मेरी बच्ची माँ ने उसे पुचकारते हुए प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा । तूने अपना फर्ज अदा किया बाकी जैसी रब की मर्जी । मेरी बच्ची अपना जी ना छोटा कर , चल तू हाथ मुँह धो कपडे बदल मैं तेरे लिए खाना गर्म किये देती हूँ । माँ अंदर किचन मे बड़ बड़ाते जा रही थी हाय ! यह मुये रिपोर्टर पैसे में चक्कर में इंसानियत ही भूल गए हैं जैसे कभी इनका नंबर नहीं आयेगा । काश ब्रेकिंग न्यूज की जगह हस्पताल ले गए होते तो उस बदनसीब की माँ के घर भी इस समय चिराग जल रहा होता ।


(पंकज जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ०प्र०
26/01/2015

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