Friday 13 February 2015

लघु कथा :- प्यार  से  रिटायरमेंट
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मेघना की नौकरी सचिवालय में , उसके पिता की मृत्यु के बाद, छोटी सी उम्र में ही लग गई थी ।
चार भाई बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण परिवार का सारा बोझ उसके कन्धों पर ही आ टिका था। पहले भाई बहनों को लिखाया पढ़ाया फिर उनकी शादियां करवाई । खुद के शरीर को सजाने सवांरने का वक़्त ही कहाँ था उसके पास। ना ही कभी किसी भौजाई या बहन ने कभी सोचा कि जिज्जी ने हमारे लिये इतना त्याग किया है तो अब हमारा भी फर्ज बनता है उनकी गृहस्थी बसाने का पर नहीं सब अपनी ही रंगीन दुनिया मे मस्त थे।
"आखिर अंडे देने वाली मुर्गी को कौन छोड़ना चाहेगा ।"
समय परिस्थिति,देशकाल व वातावरण मे हर किसी के दिल के अरमां दिल मे ही दफ़न हो जाते हैं ।
विवेक भी उनमें से एक था । जो उसके साथ ही नौकरी करता था कई बार उसने मेघना को अपने दिल की बात कहने की कोशिश की पर मेघना हर बार उसका हाथ पकड़ कर उसके मुँह को सिल देती कि उसके ऊपर अभी बहुत जिम्मेदारियाँ हैं ।
आज मेघना के रिटायरमेंट का दिन है साथ ही साथ उसका विवेक के प्यार से भी रिटायरमेंट हो जायेगा ।
(पंकज जोशी) सर्वाधिकारसुरक्षित ।
लखनऊ । उ०प्र०
13/02/2015


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