Monday 23 March 2015

लघु कथा :- औलाद 
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दृश्य १) आज से पच्चीस वर्ष पूर्व रमेश ने राधा को चरित्रहीन समझ कर  अपने घर से निकाल दिया था . उस समय राधा पेट से थी बाद में उसने अपने ही ऑफिस की लड़की उर्वशी से शादी कर ली
दृश्य २) राधा ने इसे ईश्वर की इच्छा मान कर लोंगों के कपडे सी कर अपने लाडले बेटे को खूब लिखाया पढ़ाया और उसे काबिल ऑफिसर बनाया . राधा ने खूब धूमधाम से उसकी शादी की , आज उसके लड़के का भरापूरा परिवार है , वह  अब दो बच्चों की दादी बन चुकी है

दृश्य ३) तीर्थ यात्रा पर आज पुरा परिवार हरिद्वार जा रहा है , स्टेशन  पर सामान रख कर ट्रेन का इन्तजार कर रही राधा की नजर ठण्ड से कांपते हुए रमेश पर पड़ती है पास जा कर पूछती है आप ,यहाँ अकेले  कहाँ जा रहे हैं ? रमेश ने राधा को तुरंत पहचान लिया और उससे अपने पिछले कर्मों की माफ़ी मांगने लगा .बात करने से पता चला कि उसकी दूसरी बीबी की मौत के बाद उसकी अपनी औलादों ने उसे घर से निकाल  दिया है

दृश्य ४ ) बेटा इधर आओ इनके पैर छुओ यह तुम्हारे पिता जी हैं बहुत समय पहले एक दुखद दुर्घटना में यह हमसे बिछड  गए थे , चलो अब घर चलते हैं आइये आप भी चलिए , पर मैं कैसे चल सकता हूँ ? तुम्हारे साथ रमेश ने कहा क्यों नहीं  क्या अपने घर जाने के लिए पूछना पड़ता है ? , “बेटा गाड़ी बुलवाओ” पर माँ तीर्थ यात्रा बेटे ने कहा, राधा ने प्रत्युतर दिया  - मेरी तीर्थ यात्रा आज पूरी हो गई

(पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ। उ०प्र०
23/03/2015



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