Thursday 30 April 2015

दीवार मिलन- 2-
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आज अरुण के गले से कौर नहीं उतर रहा था । जब से उसने अपने बड़े भाई के गले में कैंसर के बारे में सुना तब से उससे वह बैचेन है । अनमने मन से उसने थाली को किनारे खिसका दिया ।


“ हाँ खाने का मन तो मेरा भी नहीं है ऐसी मनहूस खबर सुनने के बाद किसको भूख है । “ अजी , क्यों ना हम भाईसाहब को शहर ले आयें । अरे तूने तो मेरे मन की बात कह दी ।

प्रकृति का भी अजीब खेल है I कल तक जिन दो भाईयों के बीच जायदाद को लेकर रिश्तों में खराशें आ गई थीं I

बरबस ही एक दूसरे की ओर मदद को बढ़ते हाथ, आज एक दूसरे का सहारा बन रहे हैं I दोनों के बीच अहं , दंभ के मसालों से चुनी हुई दीवार आँखों से गिरते पश्चाताप के आंसुओ के सैलाब में , गोते लगाती हुई, कही दूर बही जा रही थी I

 " आखिर खून उबाल जो ले रहा है "

( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित I

लखनऊ I उ.प्र I

29 / 04 / 2015



Wednesday 29 April 2015

दीवार - - पैसा - 1

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 " बापू कल से हम खेतों पर काम करने नहीं जायेंगे "- हरिराम

ने खाना खाते हुए अपना फरमान घर वालों को सुना दिया ।

 गॉव में गोबर से पुती हुई झोपड़ की चाहरदीवारी उसके जीवन में सुकून नहीं दे पा

 रही थीं

 “ क्या तू भी इस बुढापें में हमको औरों की तरह असहाय छोड़ कर विदेश चला

 जायेगा“ ?

अरे बापू कुछ सालों की ही तो बात है , पैसा कमाया और देश वापस

भाग्य से विदेश में उसे एक कन्स्ट्रक्शन कम्पनी में काम भी मिल गया ।

 और कुछ ही वर्षो में कुबेर उस पर ऐसे प्रसन्न हुए कि उसकी काया पलट हो गई ।

 वापस लौटा तो खुद की कंस्ट्रक्शन कम्पनी का मालिक हों गया, काम चल निकला

, अब चारों तरफ रुपये की बरसात होने लगी।

उसका धनिक होना रिश्तेदारों से दूरी का कारण बना ....

 आज वह जेल में बंद अपने अपने कर्मो की सजा भुगत रहा है

( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित।

लखनऊ । उ प्र


29/ 04/ 2015

Sunday 26 April 2015

सजा 
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पूरी जवानी उसने नशे और जुएँ की लत और बाप की नीली बत्ती के रौब में होम कर दी ।

अभी माँ व बाप को मरे अभी साल भर ही नहीं हुआऔर तुम्हारा नशे में यूँ दिन रात झूमना , आखिर तुम कब इसे छोड़ोगे ?

देखना रमन ! यह ड्रग्स कभी तुम्हारी जान ले के छोड़ेगी आज घर की एक एक चीज नीलाम हो चुकी है , यहाँ तक की नाते-रिश्तेदार , नौकर चाकर सब साथ छोड़ कर चले गये 
 मैं तुमसे तंग आ चुकी हूँ  अब तुम्हारे साथ और नहीं निभा सकती 

"हाँ हाँ  यहाँ  भी कौन  रोज तुम्हारा मुंह देखना चाहता है " रमन ने  जोर से चिल्लाते हुए कहा 

मैं भी तुम्हारी इन रोज की बकझक से तंग आगया हूँ  अगर साथ नहीं रह सकती तो जहाँ  जाना चाहो जिसके साथ जाना चाहो जा सकतीं हो मेरी तरफ से तुम आजाद  हो संध्या " 

" बस बहुत हुआ अब चुप भी चुप करो रमन " संध्या ने गुस्से से काँपते हुए होंठो से कहा     
 आखिर एक रात वह अपनी दूधमुही बच्ची को साथ  लेकर रमन  का घर सदा के लिए छोड़ कर चली गई 

 आज वह  हस्पताल के जनरल वार्ड की छतों को ताकते हुए अपने जीवन की अंतिम साँसों को गिन रहा है ,एक जिंदा लाश की तरह ।

(पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ प्र
 27/04/2015



Thursday 23 April 2015

अक्ल बड़ी या भैंस  (हास्य व्यंग )
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टली वाले अंकल के पूछने पर कि अक्ल बडा या भैंस इस पर युवराज ने हँसते हुए कहा -- " अंकल , भैंस ! क्योंकि वह बडा़ काला शरीर चार पैर और एक बडा सर होता है ।"
अंकल ने जोरदार तमाचा मारते हुए कहा कि " अक्ल !"
यही बात बग्घी वाले भईया से कही तो उन्होंने भी मेरे गाल पर तमाचा मारते हुए कहा कि " बाबा इतना भी नही पता कि भैंस ! "
"अब मम्मा डो लोग टो गलत नहीं हो सकते ना ! "
" तानिया मम्मा ने पप्पू के डाँटते हुए कहा खबरदार जो दुबारा उस बेफकूफ के पास टुम गया टो ।
टुम को मालूम होना मांगटा ऐसे ही नमक हरामों की वजह से हमारा जेब भरटा ।
चलों फुटो यहाँ से कल टुमको किसान रैली मैं जाना है अब टुम अच्छे बच्चों की तरह अपने कमरे मैं जाकर सो जाओ ।
रात मैं पप्पू जोर से चीखा मम्मा मोबी अंकल ।
" किसी दावानल की भांति इस देश को स्वच्छ कर रहे है । "
( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार  सुरक्षित ।
लखनऊ ।  उ.प्र  ।
22 /०4 /2015


तिल से ही तेल निकालना 
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हुत साल पहले 2006 में पंकज जी लखनऊ आशियाना में एक डिपार्टमेंट स्टोर पर अपने सेल्समेन और distributor के साथ call कर रहे थे।
उसकी owner एक आंटी जी थी। उनके हस्बैंड बैंक मैनेजर थे । पंकज जी उनसे काफी देर बातचीत की और जब चलने को हुये तो सेल्समेन को और डिस्ट्रीब्यूटर को इशारा कर दिया कि -- "जाओ आधी जंग लड़ ली है आधी तुम लोग लड़ो । "
उठते समय पंकज जी से एक गलती हो गई। पंकज जी ने उनसे चलते वक़्त thank you आंटी जी कह दिया । और अपनी गाडी पर आकर बैठ गये । थोड़ी देर बाद पंकज जी ने देखा कि उनके दोनों सिपाही मरा सा मुहँ लेकर आ रहे है।
पंकज जी ने पुछा - " क्या हुआ !" वो कहने लगे - "आपकी आंटी जी ने सारा माल वापस कर दिया । "
खैर पंकज जी दुबारा उनके पास गये ।
" क्या Scheme नहीं दी या CD नहीं काटी ? cash discount ! "
तो वो बोली - "आप को मैं आंटी लगती हूँ ? "
" अब बताइये 60 साल की महिला को क्या कहेंगे ? "
पंकज जी को तो हंसी छूठ रही थी अंदर ही अंदर ।
उन्होंने कहा - " आप बताइये दीदी जी कहूँ ! "
तो बोली -- "मैं आपको बुढ़िया लगती हूँ। "
पंकज जी ने कहा -- " किसने कहा इन दो बेवकूफों ने ? "
"नहीं , आप मुझे आंटी जी क्यों बोलते है ? भाभी जी बोलिये । "
पंकज जी ने कहा-" ठीक है , आज से आप भाभी जी और हम आपके देवर । अभी क्या करना है ? ....माल सारा गोदाम में रखवा दूँ भाभी ! "
" अरे ! बिल्कुल रखवा दीजिये और अपना डिस्ट्रीब्यूटर बदल दीजिये । हर समय पैसे माँगा करता है । "
तो पंकज जी ने कहा-- "भाभी , तिल से ही तो तेल निकलेगा । "
हाथ झाड़ते हुए चले आये पंकज जी और डिस्ट्रीब्यूटर को आँख मार दी-- " बेटे तेरा काम कर दिया । "

(पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ . उ .प्र
18/०4/2015



बोझ- कर्जा
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हलहाते खेतों को देख के उसका मन कभी ख़ुशी से झूम उठा होगा, सपने देखता होगा , अपने छोटे बच्चों को स्कूल में भर्ती करवाने के , बीबी के कानों के लिए नए झुमके बनवाने के , जिसे उसने पिछले साल सूदखोर के हवाले कर दिये थे ।
पर यह क्या प्राकृतिक आपदा !
बिन मौसम ऐसी तूफानी बरसात ने उसके सारे अरमानो पर पानी फेर दिया। अब तो सरकारी राहत का चेक भी बाउंस हो चुका था ।
आज तो हद ही हो गई उसके सगे वालों ने भी उसका साथ छोड़ दिया । बच्चे दाने दाने के लिए मोहताज हो गए थे ।

हरिया की उम्र ही क्या थी जो उसने रैली के दौरान आत्म हत्या कर ली ? बस यही कि वह एक किसान था , जिसने खेती के लिए बैंक से मात्र पैंतीस हजार रुपये का कर्ज लिया था ।
पर यह कैसी इन लोंगो की असंवेदन शीलता ! "वह तो मीडिया का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कराने के लिए पेड़ पर चढ़ा था। "
"क्या इन मासूम किसानों का खून इतना सस्ता है ? कोई भी ऐरा गैरा , इनका प्रयोग अपने राजनैतिक फायदे के लिए करता फिरे ।"
(पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्क्षित
लखनऊ  , उ  प्र । 
23/०4/2015


Monday 6 April 2015

सिक्के के दो पहलू ( शराबी )
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जो लोग उसे पीठ पीछे शराबी , नशेडी ना जाने कितने ही नामों से पुकारा करते थे आज वही शांत गर्दन झुकाए खड़े हैं ।
सुमेश का कसूर सिर्फ इतना ही तो है ना कि वह अपना दिल संध्या के प्रति हार बैठा था । और वह बेवफा जिसको चकाचौंध भरी ज़िन्दगी ने अपने आगोश में ले लिया था उसको मझधार में छोड़ किसी और के साथ चल दी प्यार की नई पेंगे बढाने को ।
आज मोहल्ले में रघु के घर के अंदर आग लगी हुई हैं । सुमेश ने उसके लड़के को आज शराब खाने में बैठा पाया तो बालों से घसीटते हुए लात मार कर उसे उसके घर का दरवाजा दिखाया दिया ।
सन्नाटे को चीरती उसी की ही आवाज इस समय लोगों के कानो में गुन्जायमान है,
"गर आज के बाद तेरे लड़के ने फिर कभी ठेके का रुख भी किया तो मैं उसकी टाँगे तोड़ डालूँगा" । --हाथों में मदिरा से भरी शीशी मानो अभी भी उसका इमतिहान लेने को आतुर इधर उधर छलक रही है ।
सडक पर बिखरे कांच के टुकड़े मानो सुमेश की जीत का जश्न मनाते हुए मोहल्ले वालों को मुंह चिड़ा रही हो ।
और सुमेश की आँखों से गिरते आंसू कहना चाह रहे हों काश ! कोई उसे भी रोक लेता वक़्त रहते तो उसकी ज़िदगी भी सवंर जाती ।
(पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित 
लखनऊ । उ. प्र

07/04/2015

Saturday 4 April 2015

टारगेट 
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सेल्स की जॉब होती ही ऐसी है , दिन रात एक कर लो पर टारगेट है कि सुरसा की तरह मुँह बाये खड़ा रहता है । रमण अपना माथा ठोक रहा था
पूरी सेल्स टीम को अगले दिन मीटिंग हाल में एम डी साहब के सामने मार्केटिंग टीम के बिजनेस हेड बनर्जी साहब प्रेजेंटेशन दे रहे थे । प्रेसेंटेशन के अंत में बोले अगर व्यक्ति में हौसला हो तो वह कुछ भी हासिल कर सकता है चाहे तो आसमान छू ले । हम तो बैठ कर नीतियों का निर्माण कर सकते है । गाय को कैसे और कितनी बार दुहना है वह आप का काम है
अगले दिन एम डी साहब का मेल सेल्स टीम के पास आया नए मार्केटिंग टीम के हेड श्री शर्मा जी ने आज अपनी कम्पनी को ज्वाइन किया है उम्मीद है कि पिछले फाईनेंसियल ईयर की तरह आप लोग दुगने जोश से इस साल भी कार्य करेंगे और कम्पनी को नई बुलंदी पर लेकर जाएंगे । सन्देश मानो बर्रे के डंक जैसा था जिसने हृदय के अंदर तक सिरहन पैदा कर दी थी ,अगली  बारी किसकी ?
(पंकज जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ  । उ.प्र

03/04/2015
दहेज
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रोज रोज ससुराल में अपने पिता के तिरस्कार को वह सह न सकी और एक दिन उसने खुद को रसोई में बंद कर आग लगा ली
हस्पताल में पहुंचे माता पिता ने पुलिस को मरीजा का ब्यान नोट करते हुए देखा
श्मशान भूमि में इधर उसकी चिता जल रही थी, उधर उसके ससुराल वाले हवालात की सैर कर रहे थे ।
(पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ. प्र

03/04/2015
अप्रैल फूल
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सुबह सुबह किसका फोन है ,हेलो जी मैं अनु बोल रही हूँ आपके पास वाली फ्लैट से कल आप का पार्सल गलती से मेरे पास आया है शायद विदेश से है , उसके थोड़ी देर बाद मेरी छोटी बहन चाय की प्याली हाथ में लिए आई और फोन से छेड़ छाड़ करने लगी । उसके चेहरे की स्मित रेखाएं और गालों में पड़े डिम्पल सारी कहानी बयां कर गये ।

(पंकज जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ.प्र
01/04/2015
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हादसा 
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बरसों पहले अंजू ने मेरी गरीबी का मजाक उड़ाते हुए पूरी क्लास के सामने मेरे प्यार को ठुकरा दिया था। आज वही मेरे सामने दामन फैला कर अपने सुहाग की भीख मांग रही है , दरवाजे के कोने में खड़ी उसकी लड़की अपनी गुड़िया से कह रही है डा० साहब आ गये हैं अब तुम्हे कुछ नहीं होगा

(पंकज जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ.प्र

31/03/2015
लघुकथा :-  सट्टा
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दो अक्टूबर, गांधी जयंती के पावन पर्व पर को मोहल्ले की समिति द्वारा आयोजित क्रिकेट मैच का फाइनल खेला जाना है । ग्राउंड तैयार हो चूका है । उससे एक दिन पहले विपक्षी टीम के कप्तान ने फाइनल में पहुंची पहली टीम के कप्तान की गर्ल फ्रेंड को पटा लिया ।
अब मैच शुरू हो चुका था , अपनी गर्लफ्रेंड को दर्शक दीर्घा में बैठी देख कर सोचा कि वह उसको चीयर करने आई है । जब भी उसकी बैटिंग आती वह लड़की अपने कार्य में संलग्न हो जाती , कभी फ्लाइंग किस तो कभी आँख मारती , अब तक तो बेचारा कप्तान भी हैरान परेशान हो चुका था, आखिर कब तक जुदाई बरदाश्त करता खुद को ही हिट विकेट कर लिया । उसके आउट होते ही गर्ल फ्रेंड ने अपने पर्स में एक पैकेट रखा और वहां से चलती बनी ।
वह घटना उस दिन असत्य की सत्य पर विजय का प्रतीक हो गई ।


(पंकज जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित
लखनऊ उ०प्र०
26/03/2015