लघुकथा :- सट्टा
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दो अक्टूबर, गांधी जयंती के पावन पर्व पर को मोहल्ले की समिति
द्वारा आयोजित क्रिकेट मैच का फाइनल खेला जाना है । ग्राउंड तैयार हो चूका है ।
उससे एक दिन पहले विपक्षी टीम के कप्तान ने फाइनल में पहुंची पहली टीम के कप्तान
की गर्ल फ्रेंड को पटा लिया ।
अब मैच शुरू हो चुका था , अपनी गर्लफ्रेंड को
दर्शक दीर्घा में बैठी देख कर सोचा कि वह उसको चीयर करने आई है । जब भी उसकी
बैटिंग आती वह लड़की अपने कार्य में संलग्न हो जाती , कभी
फ्लाइंग किस तो कभी आँख मारती , अब तक तो बेचारा कप्तान भी हैरान परेशान हो चुका था, आखिर कब तक जुदाई बरदाश्त करता खुद को ही
हिट विकेट कर लिया । उसके आउट होते ही गर्ल फ्रेंड ने अपने पर्स में एक पैकेट रखा
और वहां से चलती बनी ।
वह घटना उस दिन असत्य की सत्य पर विजय
का प्रतीक हो गई ।
(पंकज जोशी)
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ०प्र०
26/03/2015
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