Monday 29 June 2015

बंधन  :-
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आज घर में लक्ष्मी का आगमन हुआ " पर  यह क्या कोई स्वागत नहीं ! घर में यह कैसी मातम पुरसी , क्या सबने मौन व्रत धारण कर रखा है ? नवजात कन्या ने स्वयं से प्रश्न किया ।"

तभी घर में एक स्त्री की दमदार आवाज सभी के कानो में पड़ी " अरे ! मेरे तो भाग्य तो उसी दिन फूट गये थे जब से यह कुलटा ब्याह कर घर आई है । "

" अब देखो मेरे लड़के को अभी से ही इस कुलक्षणी के दान दहेज़ के प्रबन्ध के लिये अपने खून का कतरा कतरा उस सेठ  को बेचना पड़ेगा। "

समय के बीतने के साथ ही कन्या का शरीर एक युवती में परिवर्तित होने लगा उसकी बड़ी बड़ी आँखें और उभरते वक्ष स्वाभिक एक माँ की चिंता के कारण थे।

" सुनो जी ! अपनी बिट्टो अब बड़ी हो चुकी है कोई अच्छा सा वर मिल जाये तो हम नहा आये । तुम बिलकुल सही कह रही हो , पिता ने कहा । जब उसको चूल्हा चौका ही करना है तो अब अधिक पढ़ाने से क्या लाभ । "

मुंशी जी के तो जैसे भाग ही जग गये , लड़का बड़ा सरकारी अधिकारी था । लड़की की शादी में अपनी ओर से कोई कमी नहीं रखी थी पर लड़के वालों को दान दहेज में कमी लगने लगी थी।

पंखे से झूलती उसकी लाश के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में शरीर पर नील के निशान , कहीं कहीं पर गर्म चिमटे के दाग उसके सभी बन्धनों से अपने को मुक्त करने की कहानी बयाँ कर रहे थे ।

( पंकज जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ.प्र.
29/06/2015
हौसला
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कामिनी के एक्सीडेंट के बाद उसके एक पैर को काटना पड़ा । मानो उसके स्वप्नों की हत्या कर दी गई हो। वह एक अच्छी ट्रेकर थी और इस बार की ट्रेकिंग उसके लिये काफी मायने रखती थी ।

"बेटा पहले और अब में काफी अंतर है तुम अब पहले जैसी नहीं रही !! तो क्या माँ -पापा ज़िन्दगी भर अपाहिज बन कर दिन भर घर में हाथ पर हाथ धरे रहूँ , यह नहीं होगा मुझसे "।

उसके कोच ने भी उसे समझाने की कोशिश पर वह ना मानी और एक्सपीडिशन के लिए अपने को तैयार करने लगी ।

ट्रेकिंग में उसके संगी साथी सब उससे आगे चले जाते और वह धीरे -धीरे ऊपर चढ़ने की कोशिश करती रहती।

" अरे वह लंगड़ी क्या चोटी पर पहुंचेगी!!!! " एक सदस्य ने ताना मारते हुए कहा वह छप रही और अपने प्रयास में लगी रही कि अब तो सौ प्रतिशत तो दे के दिखाएगी सबको ।

चोटी पर पहुँचते पहुँचते सब की ताकत जवाब दे चुकी थी ।

 अब वह गर्व से भरी नजरों से चोटी से दूर क्षितिज का नजारा ले रही थी । आज ज़िन्दगी जीत चुकी थी ।
छुटकारा
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लम्बे समय से वह कैंसर से जूझ रहा था , मृत्यु दया की उसकी अपील उच्चतम न्यायालय भी ठुकरा चुका था । पत्नी के जेवर , बच्चों को फ़टे हाल कपड़ो में घूमते देखते हुए उसका मन कराह उठता ।

सुरसा समान बीमारी ने सब कुछ लील लिया था ।

एक रात उसने अपने पत्नी से कहा कि " क्यों नहीं तुम मेरा गला घोट कर इस लाइलाज बीमारी से मुझको और सबको मुक्त कर देती हो, आज नहीं तो कल मुझे मरना ही है तो आज क्यों नहीं ? "

अगली सुबह घर में मातम पसरा था .......


( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित
लखनऊ । उ.प्र
29 /06/2015

Thursday 25 June 2015

कश्मकश
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पति के फालिज पड़ने के बाद गृहस्थी का सारा बोझ फूल सी कोमलांगना पर आ पड़ा था। घर में फांके पड़ने लगे ,आज तो अन्न का दाना भी घर में नहीं है , ऊपर से विधवा सास के ताने  ' अरी कलमुही आज खाने को कुछ देगी  कि तेरे बाप को बुलाना पड़ेगा !!! '

शादी के बाद  पहली बार उहापोह की स्थिति में फंसी  पड़ी थी वह कि घर से बाहर जाकर खाने का इन्तजाम करे या  घर पर ही ,  रहते हुए सबको फांके मारते मरते देख स्वयं  पंखे पर झूल जाए।

 घर की लक्ष्मण रेखा लांघ ली और अपने परिवार को भूख से मरने से बचा लिया ।

( पंकज जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ.प्र
25 /06/2015

Saturday 20 June 2015

भँवर -  मायावी
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ऑफ़िस कैंटीन में अर्जुन को सिगरेट के बट पे बट बुझाते हुये देखते हुए उसके बचपन का सखा और यहाँ का बॉस कृष्ण इतना वयग्र हो चुका था कि झट से आगे बढ़ कर उसके हाथ से पैकेट छींनते हुए कहा-

 " मेरा मित्र  इतना निरीह और बेबस क्यों ?"

आप तो जानते हैं सर कि कल कोर्ट की तारीख है और उस समर भूमि में द्रौपदी के चीर हरण पर बाबा ,  ताऊ , और बांधव ,माता कुंती से जब दुर्योधन का वह नीच वकील शकुनि अपने सवाल के पांसे फेकेगा तो इसका सामना वे कैसे कर पायेंगे"
 " बस !  इतनी सी बात " आपके लिये होगी मेरे लिए जीने मारने का प्रश्न है ।"

" तुम्हारी यही बात मुझे अच्छी नहीं लगती पार्थ जब देखो तो मैं मेरा करते रहते हो  " कल का दिन रण का दिन है और तुम शोक में डूबे सिगरेट फूक रहे हो ? "

कोर्ट रूम में जज वकील शकुनि का इन्तजार कर थक चुका था । दुर्योधन की याचिका खारिज की जा चुकी थी।

गुडाकेश समझ चुका था कि उसे इस भँवर से किसने निकाला ।

( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।

लखनऊ । उ.प्र

08/06/2015
मंझधार :- भरोसा
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शहर के नामचीन होटल के किसी कमरें  में एक व्यक्ति अपने बड़े भाई की हत्या की योजना बना रहा है ।

श्री राम ने उस व्यक्ति की सुरक्षा का वादा करते हुए कहा कि "तुम उसे खुले में चैलेन्ज करो" । "पर बॉस वह तो ताकत में मुझसे दुगना है मैं कैसे उससे मुकाबला कर पाऊंगा ? सुग्रीव ने प्रभु की ओर मुखातिब होते हुए कहा ।

" तुम इसकी चिंता ना करो " चमचमाती दुनाली पर हाथ फेरते हुए बोले पर इसके बाद " मेरा काम तो हो जाएगा ना " "बिलकुल होगा मालिक वानर राज ने अपने दोनों हाथों को जोड़ते हुए कहा"

मरणासन्न अवस्था में बाली ने प्रभु श्री राम को हाथ जोड़ते हुए कहा " हे मर्यादा पुरुषोत्तम ! आप किस लंपट की बातों में आ गये वह तो पहले भी मुझे जान से मारने की कोशिश कर चुका था इस बार उस दुष्ट ने आपको भी ...... एक बार आप ने मुझे आज्ञा दी होती तो रावण की मैं नाक पकड़ आपके चरणों में डाल देता .. ।

राजा सुग्रीव अब हथियार त्याग कर बाली पत्नी के साथ रनिवास के सुख विलास में  लिप्त थे  और राम मंझधार में फँसे  अब  अपना हाथ मल रहे  थे ।

( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।

लखनऊ । उ.प्र

11/06/2015
पांचाली (अंतर्द्वंद)
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आज कुरु निवास इस्टेट में ख़ुशी का दिन है। धृतराष्ट्र को अपनी नई आँखे दान में जो मिल गई थी। बाहरी रंगीन चकाचौंध से भरी दुनिया उसको भाने लगी थी ।

गांधारी भी पतिवृता के दंश से आज उन्मुक्त हो नई ऊंचाइयों को छूना चाह रही थी ।

लाक्षागृह से पाण्डु पुत्रों का बच निकलना डी कम्पनी को पचा नहीं पा रहे थे।

अपने बहनोई जी से भी आज मामा शकुनि को द्यूत क्रीड़ा खेलने की इजाजत मिल चुकी थी ।

सभा खचाखच हुई भरी थी । भीष्म पितामह भी बड़ी मुश्किल से पास का जुगाड़ कर पाये थे।

अर्जुन अपनी .32 कैलिबर की रायफल हार कर बाकि पाण्डव के साथ मुँह लटकाये बैठा था ।

पांडव अभी भी बस एक जीत को लालायित थे।

अरे यह क्या ! " द्रौपदी अब हमारी हुई " दुर्योधन चिल्लाया

"अरे कोई जाओ और दासी को मेरे समक्ष प्रस्तुत करो " उसने आदेशात्मक स्वरुप आदेश अपने अनुज दुशाशन को देने ही वाला था कि द्रौपदी स्वयं द्यूत सभा में उपस्थित हो गई।

" तुम क्या चाहते हो मुझसे ! कुरु कुल दीपक , इन नपुन्सको से तुम्ही भले ! "

( पंकज जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ.प्र
16/06/2015

Saturday 6 June 2015



 घरेलू  हिंसा
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ल्साई  हुई अनन्या की जैसे  ही आँख खुली तुरंत भागते हुए किचन  में काम कर रही अपनी माँ के गले से लिपट गई ।

“ मम्मी अब हम यहाँ नहीं रहेंगे ! अरे क्यों नहीं रहेंगे ? अन्नू माँ  ने उसके गालों को चुमते हुए कहा । हमारे घर में ना बड़े से लम्बे हाथों वाला एक राक्षस रहता है । वह रोज एक लड़की  को पकड़ने आता है और घर के बर्तन भी गिराता है ।

कल रात मैंने अपने  टेडी के साथ उसकी परछाई भी देखी थी , अच्छा अब  बहुत हो गये किस्से कहानी जल्दी से हाथ मुंह  धो में तुम्हे गर्मागर्म ढूध  देती हूँ  ।


माँ  तुम्हारी आंखों के नीचे यह काला निशान कैसा  !

( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ.प्र
06 /06 / 2015

Friday 5 June 2015

लाल किला -
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न्नत में भी शाहजहाँ को सुकून ना था , मुमताज उसी की कब्र के बगल में लेटी हुई थी , फिर भी बादशाह की आँखों से नींद कोंसो दूर थी ।

उसे चैन की नींद सोये कई शताब्दियां बीत चुकी थीं पर उसे नींद नहीं आ रही थी ।
आखिर एक रात उसकी प्यारी बेगम ने उसका हाथ अपने हाथो में लेते हुए पूछ ही लिया – जिल्ले इलाही ! हमको धरती छोड़े कई साल हो गए पर मैं सालों से देख रही हूँ कि अरसे गुजरे हुये आपको चैन की नींद सोये देखे हुए !

आखिर क्या कारण है हमारी औलाद औरंगजेब जिसने मेरे गुजरने के बाद आपको कैद कर हमारे बेटों को मौत के घाट उतार दिया ?

" नहीं  बेगम यह बात नहीं है " मैंने हिन्दुस्तान में तीन लाल किले बनवाये थे पर उनमे से एक दिल्ली का ही ही विश्व प्रसिद्व क्यों है ? हमारी प्यार की निशानी ताजमहल के सामने किला या लाहौर का क्यों नहीं ?

हूँ " आलमपनाह बस इतनी सी बात " राजनीति प्यार में जो हावी हो गई । उठ कर मुमताज गुस्से में अपने पैर पटकते हुए अपनी कब्र में सोने चली गई ।

(पंकज जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित।
 लखनऊ । उ.प्र

05/06/2015