Saturday 20 June 2015

मंझधार :- भरोसा
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शहर के नामचीन होटल के किसी कमरें  में एक व्यक्ति अपने बड़े भाई की हत्या की योजना बना रहा है ।

श्री राम ने उस व्यक्ति की सुरक्षा का वादा करते हुए कहा कि "तुम उसे खुले में चैलेन्ज करो" । "पर बॉस वह तो ताकत में मुझसे दुगना है मैं कैसे उससे मुकाबला कर पाऊंगा ? सुग्रीव ने प्रभु की ओर मुखातिब होते हुए कहा ।

" तुम इसकी चिंता ना करो " चमचमाती दुनाली पर हाथ फेरते हुए बोले पर इसके बाद " मेरा काम तो हो जाएगा ना " "बिलकुल होगा मालिक वानर राज ने अपने दोनों हाथों को जोड़ते हुए कहा"

मरणासन्न अवस्था में बाली ने प्रभु श्री राम को हाथ जोड़ते हुए कहा " हे मर्यादा पुरुषोत्तम ! आप किस लंपट की बातों में आ गये वह तो पहले भी मुझे जान से मारने की कोशिश कर चुका था इस बार उस दुष्ट ने आपको भी ...... एक बार आप ने मुझे आज्ञा दी होती तो रावण की मैं नाक पकड़ आपके चरणों में डाल देता .. ।

राजा सुग्रीव अब हथियार त्याग कर बाली पत्नी के साथ रनिवास के सुख विलास में  लिप्त थे  और राम मंझधार में फँसे  अब  अपना हाथ मल रहे  थे ।

( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।

लखनऊ । उ.प्र

11/06/2015

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