स्पर्श
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" सुनो तुमसे कुछ कहना चाह रही थी । "
" हाँ पूछो ! " रमन ने किताब के पन्ने उलटते हुए कहा ।
" दरअसल मैं चाहती हूँ कि उमेश ने शादी हमारी मर्जी से नहीं की पर उस बात को गुजरे कई साल गुजर गए हैं , आज हमारे बेटे को हमारी जरूरत है ! और क्या तुम्हे अपने पोते से आखिरी बार देखना नहीं चाहोगे ? "
" यह क्या कह रही हो तुम उमा ? " " सच कह रही हूँ , उसको ब्रेन ट्यूमर है , हॉस्पिटल में उसका ऑपरेशन है आज ?"
एक अरसे बाद बाप बेटे का मिलन हो रहा है आंसूओं से भीगे गाल पिता को आत्म ग्लानि के बोध से मुक्त करा रहे हैं ।
ऑपरेशन थियेटर से बाहर निकलते ही पोते के सिर पर हाथ फेरते हुए बुदबुदाये, "तुझे कुछ नहीं होगा बेटे । "
(पंकज जोशी )
लखनऊ । उ०प्र०
25/08/2015
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