मंदिर में स्वामी जी का प्रवचन चल रहा था ।
" मनुष्य का अपनी वृतियों पर नियंत्रण ही सच्चा व्रत है । "
इन चंद शब्दों ने उसके अंतर्मन को बींध कर रख दिया । अब वह पहले जैसा नही रहा था ।
मार्ग के पथरीले पत्थर उसका इन्तेजार कर है ।
( पंकज जोशी )सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ०प्र०
१९/१०/२०१५
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